विशेषण की परिभाषा – वे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाते हैं अर्थात् जिस विकारी शब्द से संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित होती है, उन्हें विशेषण कहते हैं। तथा जिन संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाई जाती है, उन्हें विशेष्य कहते हैं।
जैसे –
काली घोड़ी = काली (विशेषण) – घोड़ी (विशेष्य)
पाँच लड़के = पाँच (विशेषण) – लड़के (विशेष्य)
थोड़ी चाय = थोड़ी (विशेषण) – चाय (विशेष्य)
यह घर = यह (विशेषण) – घर (विशेष्य)
विशेषण के भेद (Visheshan Ke Bhed in Hindi Grammar) –
हिन्दी में विशेषणों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया जाता है –
1 . वाक्य में प्रयुक्त विशेषण के स्थान के आधार पर –
वाक्य में विशेषण शब्द विशेष्य (संज्ञा, सर्वनाम) शब्द के पहले भी प्रयुक्त हो सकते हैं और बाद में भी। इस आधार पर विशेषणों को दो भागों में बाँटा जाता है –
(i) उद्देश्य या विशेष्य विशेषण – जब वाक्य में प्रयुक्त विशेषण शब्द विशेष्य के ठीक पहले प्रयुक्त होता है तो उसे उद्देश्य विशेषण या विशेष्य विशेषण कहते हैं।
जैसे –
काली घोड़ी तेज दौड़ती है।
सुन्दर लड़की जा रही है।
कक्षा में चार लड़के बैठे हैं।
कप में कम चाय है।
(ii) विधेय विशेषण – जब वाक्य में प्रयुक्त विशेषण शब्द का प्रयोग विशेष्य के बाद क्रिया के पूरक के रूप में प्रयुक्त होता है तब उसे विधेय विशेषण कहते हैं।
जैसे –
सीता सुन्दर है।
धर्मेन्द्र परिश्रमी है।
गिलास में दूध थोड़ा है।
विशेष – विधेय विशेषण अपूर्ण क्रियाओं के साथ पूर्ति के रूप में आते हैं।
2 . रचना के आधार पर –
रचना के आधार पर विशेषणों को दो भागों में बाँटा जाता है –
(i) मूल विशेषण या रूढ़ विशेषण – वे विशेषण जो अपने आप में पूर्ण होते हैं अर्थात् किसी शब्द के मेल से नहीं बने हैं। इसलिए इनके खण्ड या टुकड़े नहीं किये जा सकते तथा उन खण्डों के कोई अर्थ नहीं होते, उन्हें मूल विशेषण या रूढ़ विशेषण कहते हैं।
जैसे – लम्बा, भला, छोटा, बुरा, काला, थोड़ा, मोटा, पतला।
(ii) यौगिक विशेषण – वे विशेषण जिनकी रचना उपसर्ग, प्रत्यय के मेल से या सामासिक पदों के योग से होती है, उन्हें यौगिक विशेषण कहते हैं, जैसे –
(क) उपसर्ग के योग से बने – दुर्बल, निडर, निर्दोष, नालायक
(ख) प्रत्यय के योग से बने – पुष्पित, प्यारा, विषैला, भुलक्कड़
(ग) समास से बने – आमरण, यथाशक्ति, धीरे-धीरे, प्रत्येक
3 . विशेषता के आधार पर –
विशेषताओं के आधार पर विशेषणों को मुख्यत: चार भागों में बाँटा गया है –
(i) गुणवाचक विशेषण
(ii) संख्यावाचक विशेषण
(iii) परिमाण वाचक विशेषण
(iv) संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण
(i) गुणवाचक विशेषण – किसी संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दोष, रूप, रंग, आकार, स्वाद, स्पर्श, गंध, दिशा, दशा, अवस्था, स्वभाव, व्यवसाय, पदार्थ, तापमान, ध्वनि, भार, काल, स्थान को प्रकट करने वाले शब्दों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं, जैसे –
गुण – भला, दानी, दयालु, परिश्रमी, चतुर, ईमानदार, सबल, सुन्दर
दोष – बुरा, कृपण, कुरूप, कपटी, पापी, मक्कार, दुर्बल
रंग – सफेद, काला, हरा, गुलाबी, सुनहरा, चमकीला, सतरंगा
आकार – अण्डाकार, गोल, चौकोर, नुकीला, ठिगना, लम्बा, चौड़ा
स्वाद – खट्टा, मीटा, मधुर, कड़वा, तिक्त, कसैला, नमकीन
स्पर्श – कोमल, कठोर, खुरदरा, नरम, चिकना, मुलायम, स्निग्ध
गंध – सुगंधित, खुशबूदार, बदबूदार, सौंधा, गंधहीन
दिशा – पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी, दक्षिणी, भीतरी, बाहरी
दशा – नया, पुराना, जीर्ण-शीर्ण, रोगी, स्वस्थ, गाढ़ा, पतला
अवस्था/आयु – बूढ़ा, जवान, तरुण, प्रौढ़, ठोस, द्रव, गैस, तरल, आर्द्र, शुष्क, नम, गीला
स्वभाव – चिड़चिड़ा, मिलनसार
व्यवसाय – व्यापारी, शिक्षक, वैज्ञानिक
पदार्थ – सूती, रेशमी, ऊनी, कागजी
तापमान – ठंडा, गरम, कुनकुना
ध्वनि – मधुर, कर्कश
भार – हल्का, भारी
समय/काल – दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, वार्षिक
स्थान-जोधपुरी, भारतीय, जापानी, शहरी, पहाड़ी, ग्रामीण, देशी, विदेशी
भाव – क्रोधी, वीर
विशेष – कतिपय विद्वान व्यक्तिवाचक संज्ञाओं से बने विशेषणों, यथा – जोधपुरी, जयपुरी, कश्मीरी, बीकानेरी, बनारसी को गुणवाचक ही मानते हैं।
(ii) संख्यावाचक विशेषण – वे संज्ञा या सर्वनाम जिन्हें गिना जा सकता है, उनकी निश्चित या अनिश्चित संख्या, क्रम, आवृत्ति, समूह, समुच्चय आदि विशेषताओं का बोध कराने वाले विशेषणों को संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। ये मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
यथा –
(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण – वे विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध कराते हैं उन्हें निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। इन्हें निम्न छः भागों में विभक्त किया जा सकता है।
(अ) गणनावाचक या अंकवाचक – (i) पूर्ण (ii) अपूर्ण-आधा, तिहाई, पौना, सवा, डेढ़।
वे विशेषण जिनके द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित गिनती या अंक का बोध होता है, जैसे – एक, दो, तीन, आठ
कक्षा में चार लड़के बैठे हैं।
(आ) क्रमवाचक – वे विशेषण जिनके द्वारा संज्ञा या सर्वनाम के क्रम का बोध कराये, जैसे – पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा।
(इ) आवृत्तिवाचक – वे विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की आवृत्ति, तह या गुणन का बोध कराते हैं, जैसे – दुगुना, चौगुना, इकहरा, दुहरा, तिहरा
(ई) समुदाय या समूह बोधक – वे विशेषण जो कुछ संख्याओं के समूह का बोध कराते हैं, जैसे – दोनों, तीनों, चारों, तीनों के तीनों
(उ) समुच्चयबोधक – वे विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम के प्रचलित समुच्चय को प्रकट करते हैं, जैसे – दशंक, शतक, सतसई, अष्टक, सैकड़ा, चालीसा, पच्चीसी
(ऊ) प्रत्येक बोधक – वे विशेषण जिनसे प्रत्येक का या विभाग का बोध होता है, जैसे – प्रत्येक, हर एक, हर मास, हर वर्ष, एक-एक, चार-चार
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण – वे विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की अनिश्चित संख्या का या अस्पष्ट अनुमान का बोध कराते हैं, उन्हें अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं,
जैसे – कुछ, कई, काफी, थोड़े, बहुत, अधिक, पर्याप्त, सब, पूरे, अनेक, बीसियों, हजारों, पचास एक, दस-बारह, लगभग, बहुतेरे, कोई चार सौ आदि।
कुछ बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।
रैली में वहाँ हजारों लोग पहुँचे।
मेरे पास पचास एक सन्तरे बचे हैं।
आज हड़ताल के कारण सब दुकानें बन्द हैं।
बाढ़ में सैंकडों घर गिर गये।
(iii) परिमाण वाचक विशेषण – वे विशेषण जो किसी संज्ञा या पदार्थ की निश्चित या अनिश्चित मात्रा, परिमाण, नाप, माप, तोल सम्बन्धी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं –
(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण – वे विशेषण जो किसी संज्ञा या पदार्थ के निश्चित परिमाण का बोध कराते हैं, जैसे –
(अ) निश्चित तोल – दस ग्राम सोना, पाँच किलो गेहूँ, दो क्विंटल अनाज
(आ) निश्चित नाप – तीस सेन्टीमीटर लकड़ी, तीन मीटर कपड़ा, चार एकड़ भूमि
(इ) निश्चित माप – चार लीटर दूध, लोटो भर पानी, मुट्ठी भर दाने
(ख) अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण – वे विशेषण जो किसी संज्ञा के अनिश्चित मात्रा, नाप, तोल, माप का बोध कराते हैं उन्हें अनिश्चय परिमाण वाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे – थोड़ा दूध कम पानी, सब सब्जी, जरा सा नमक, तनिक चटनी, कई किलो चावल, पचासों क्विंटन अनाज, ढ़ेरों कपड़ा, थोड़ा, बहुत, कुल, इतना, उतना, जितना, सारा, न्यूनाधिक, कम-ओ-बेश, बहुत-कुछ, कुछ-कुछ, थोड़ा-बहुत, बहुत-बहुत शुक्रिया, अनेकानेक धन्यवाद, जरा-जरा।
लड़के ने सारी सम्पत्ति उड़ा दी।
उसने बहुत परिश्रम किया।
(iv) संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण – सर्वनामों का प्रयोग संज्ञा के विशेषण के रूप में भी होता है। जब ये शब्द संज्ञा के स्थान पर अकेले आते हैं, तब सर्वनाम होते हैं और जब ये सर्वनाम संज्ञा शब्द के साथ अथवा पहले आते हैं तब ये सार्वनामिक विशेषण या संकेतवाचक होते हैं।
विशेषण के रूप में प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम को ही सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। अर्थात् वे सर्वनाम शब्द किसी विशिष्ट संज्ञा के पूर्व प्रयुक्त होकर उसकी ओर संकेत करे या उसकी विशेषता बतलाते हैं।
ये विशेषण मूलतः सर्वनाम ही होते हैं, इसलिए सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनामों को छोड़ शेष सभी सर्वनाम संज्ञा के साथ आकर विशेषण होते हैं, अतः इन्हें चार भागों में बाँटा गया है –
(क) निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण –
यह पुस्तक सोहन को दो।
यह मनुष्य भला है।
उस लड़के को इधर भेजो।
क्या यह मकान तुम्हारा है ?
(ख) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण –
कोई लड़का बाहर खड़ा है।
वहाँ कुछ वस्तु पड़ी है।
किसी यात्री का सामान यहाँ रह गया।
(ग) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण –
(i) कौन लड़का बाहर गया है ?
(ii) तुम किस पुस्तक को पढ़ोगे ?
(iii) वह क्या वस्तु माँगता है ?
(घ) सम्बन्धवाचक सार्वनामिक विशेषण –
जो घड़ी कल खरीदी, वह आज बन्द हो गई।
वह लड़की आई है जिसने तुम्हारी मदद की थी।
जिस काम को करना हो, उसमें देर न करो।
विशेष –
1 . किसी संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त शब्द सर्वनाम होता है तथा किसी संज्ञा की विशेषता बतलाने वाला सर्वनाम शब्द सार्वनामिक विशेषण कहलायेगा। जैसे –
तुम्हें पुस्तक चाहिए, यह लेलो। (सर्वनाम)
यह पुस्तक उपयोगी है। (सार्वनामिक विशेषण) (सर्वनाम)
कौन लड़का गाना गा रहा है? (सार्वनामिक विशेषण)
2 . ‘निज’ व ‘पराया’ भी सार्वनामिक विशेषण होते हैं –
निज कौन गाना गा रहा है? देश, निज भाषा, पराया देश, पराई भाषा
प्रविशेषण
जो विशेषण किसी संज्ञा के बजाय किसी विशेषण की ही विशेषता बतलाते हैं। वे विशेषण प्रविशेषण कहलाते हैं जो वाक्य में प्रयुक्त किसी विशेषण की विशेषता बतलाते हैं। यथा – अति, बहुत, अत्यंत, बड़ा, अतीव, घोर, बेहद, महा
वह लड़की अति सुंदर हैं।
कामिनी गहरी नीली साड़ी पहनी हैं।
अन्य महत्वपूर्ण बातें –
1 . लिंग, वचन और कारक के कारण विशेषण शब्दों में रूपांतरण होता है।
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