जब हम विज्ञान के नए आयाम की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय क्या होता है? विज्ञान के पुराने आयाम क्या थे? नए आयाम में क्या भिन्नता है? ये प्रश्न हमारे सामने आते हैं।
इन प्रश्नों का सही और वैज्ञानिक उत्तर कोई वैज्ञानिक ही दे सकता है। लेकिन मोटे तौर पर हम विज्ञान के नए आयाम से आशय उन नवीनतम वैज्ञानिक उपलब्धियों से लगाते हैं जिनके आगे पुरानी उपलब्धियां छोटी लगती है।
विज्ञान के नए आयाम दो क्षेत्रों में दृष्टिगत होते हैं – (1 .) सिद्धांत, (2 .) अविष्कार।
सिद्धांत के क्षेत्र में अल्बर्ट आइंस्टीन को विज्ञान के नए आयाम का जनक माना जा सकता है। आइंस्टीन ने न्यूटन के सिद्धांतों को खंडित कर सापेक्षता के सिद्धांत के नये सिद्धांत का प्रतिपादन किया जिससे विज्ञान की परम्परागत धारणा परिवर्तित हो गयी।

विचार या सिद्धांत के क्षेत्र में इसे आगे बढ़ाया गया और भारतीय वैज्ञानिक जयंत विष्णु नार्विकार ने इसे एक और नया आयाम दिया। इस तरह भारतीय वैज्ञानिक खुराना ने जंतु विज्ञान के क्षेत्र में जीन की खोज की और इससे प्रजनन विज्ञान में नये अन्वेषण का द्वार खुला।
आज हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं की चूहे से हाथी पैदा किए जा सकते हैं या चीन परिवर्तन कर एक से चेहरे वाले दो लोग पैदा किए जा सकते हैं।
यह बतलाता है कि अब प्रजनन का नियंत्रण उस अव्यक्त सत्ता या प्रक्रिया के हाथ में नहीं है जिसे ईश्वर कहते हैं। भगवान की कृपा से अब न तो फसल पैदा होती है और न बाल-बच्चे।
हर क्षेत्र में मानव अपनी इच्छा के अनुसार चीजें पाने लगा है। वह पुत्र या पुत्री पा सकता है, खेत से मनमानी फसल पा सकता है। क्रॉस ब्रीडिंग द्वारा उन्नत किस्म के फूल, फल, अन्न उगा सकता है।
उनके आकार, स्वाद, गुण आदि में मनोनुकूल परिवर्तन कर सकता है। इस तरह के कार्यों के लिए जिस जिस वैज्ञानिक ज्ञान की आवश्यकता होती है। वह कल तक मानव के पास नहीं था। आज ये उपलब्धियाँ उसके ज्ञान क्षितिज के नये क्षेत्र का प्रतीक बनी हुई हैं।
विज्ञान सैद्धान्तिक रूप से जिन विचारों या तकनीकों का विकास करता है उनका उपयोग वस्तुओं के अविष्कार में करता है। आज का विश्व वैज्ञानिक आविष्कार हो गया है।
सबसे पहले कंप्यूटर की बात करें। कंप्यूटर के अविष्कार ने हमारी पूरी कार्यप्रणाली को बदल दिया है। आज जीवन के हर क्षेत्र में कंप्यूटर की उपयोगिता दिख रही है।
बैंक, सरकारी कार्यालय, चिकित्सालय, शिक्षा, विज्ञान, मुद्रण हर क्षेत्र में सही और प्रमाणिक आँकड़ो तथा तथ्यों के लिए कंप्यूटर का उपयोग हो रहा है।
हेराफेरी और गरबड़ी रोकने में मदद मिल रही है तो महीनों का काम दिनों में संपादित हो रहा है। परीक्षाओं के परीक्षाफल निकालने तथा उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में कंप्यूटर अहम भूमिका निभा रहा है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के रूप में आज कंप्यूटर ने एक क्रांति कर दी है। संचार के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक के विकास के परिणामस्वरुप दूरदर्शन और इंटरनेट ने अद्भुत कार्य किया है, संपन्न से लेकर विपन्न तक सभी इस मध्यम की सुविधा और क्षमता से लाभान्वित हो रहे हैं।
जन सामान्य की सेवा में विज्ञान का ऐसा उपयोग अनुमान से परे था। सुपर कंप्यूटर के द्वारा जहाँ जटिल कार्य सम्पादित हो रहे हैं वहाँ दुरी और समय सिमट गए हैं।
इंटरनेट के सहारे दुनिया के एक कोने में बैठा व्यक्ति आसानी से दूसरे कोने की सूचना प्राप्त कर सकता है। यह सुविधा कल तक सुलभ नहीं थी।
उपग्रहों का निर्माण और अंतरिक्ष में प्रक्षेपण आज सामान्य व्यापार है। इनके सहारे हम अन्तरिक्ष के गोपन रहस्यों को जानने लगे हैं। चांद पर से हम हो आए हैं और अन्य ग्रहों पर भी अपने यान उतार चुके हैं।
संभव है कल मंगल और बृहस्पति पर से भी घूम आए। सामरिक हथियारों के क्षेत्र में हम कल तक हवाई जहाज और बमों से परिचित थे। अनु बम विस्फोट हम देख चुके हैं।
इससे भी आगे बढ़कर अब हम जैवी हथियार बनाने लगे हैं, विभिन्न दूरी तक मार करने वाले प्रक्षेपण बना चुके हैं और रिमोट कंट्रोल की पद्धति विकसित कर चुके हैं जिससे घर बैठे-बैठे भी ध्वंस मचा सकते हैं।
सारांश रूप में हमने विज्ञान का वह नया आयाम विकसित कर लिया है जहाँ हम एक और भौतिक साधनों को नचाकर सुविधाओं का अंबार लगा रहे हैं तो दूसरी और उसी मात्रा में विनाश की सामग्री भी विकसित कर चुके हैं।
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