परिभाषा (Definition) :- वे शब्द जो किसी वाक्यांश, शब्द समूह या पूरे वाक्य के लिए एक शब्द बनकर प्रयुक्त होते हैं। अर्थात् जब एक शब्द एक से अधिक शब्दों के अर्थ को व्यक्त करने की शक्ति होती है, उन्हें समूह के में लिए प्रयुक्त एक शब्द कहते हैं।
वाक्यांश के लिए एक शब्द in Hindi Grammar
अंकुश – हाथी हाँकने का छोटा भाला।
अंत्यज – वह जिसका जन्म अत्यधिक निम्न जाति में हुआ हो।
अंधविश्वासी – जो बिना सोचे समझे विश्वास कर ले।
अकथनीय – वह जिसे कहा न जा सके।
अकरणीय – वह जो करने योग्य न हो।
अक्षम्य – वह जिसे क्षमा न किया जा सके।
अक्षरशः – एक एक अक्षर के अनुसार ज्यों का त्यों।
अकिंचन – वह जिसके पास कुछ भी न हो।
अखाद्य – जो खाने के योग्य न हो।
अग – वह जो गमन न करे। अचल।
अगम – वह जहाँ गमन न किया जा सके।
अगम्य – वह स्थान जहाँ गमन न किया जा सके।
अगाध – वह जो बहुत गहरा हो।
अगोचर – वह जो इन्द्रियों से परे हो।
अग्रगण्य – वह जो आगे गिनने योग्य हो।
अग्रज – वह जिसका जन्म पहले हुआ हो।
अचिन्त्य – वह जिसका चिन्तन न किया जा सके।
अजन्मा – वह जिसका जन्म न हुआ हो।
अच्युत- वह जिसे अपने स्थान से अलग न किया जा सके।
अजर – वह जो कभी बूढ़ा न हो।
अजातशत्रु – वह जिसका कोई शत्रु न हो।
अजेय – वह जिसे जीता न जा सके।
अज्ञेय – वह जिसे जाना नहीं जा सके।
अतिवृष्टि – बहुत अधिक वर्षा का होना।
अतिशयोक्ति – बढ़ा चढ़ा कर कही गई बात।
अतीन्द्रिय – वह जिसका ज्ञान इन्द्रियों से परे हो।
अतुलनीय – वह जिसकी तुलना न की जा सके
अथाह – वह जिसकी थाह न ली जा सके। गहराई का पता न हो।
अदृश्य – वह जो आँखों से दिखाई न दे।
अद्वितीय – वह जिसे समान कोई दूसरा न हो।
अधित्यका – पर्वत के ऊपर की समतल भूमि।
अधोलिखित – वह जो नीचे लिखा हुआ है।
अध्यादेश – निश्चित समय के लिए निकाला गया आदेश।
अनन्त – वह जिसका अन्त न हो।
अनन्य – वह जिसका सम्बन्ध अन्य से न हो।
अनपढ़ – वह जो पढ़ा-लिखा न हो।
अनरुद्ध – वह जो रोका न जा सके।
अनश्वर – वह जिसका कभी नाश न हो।
अनभिज्ञ – वह जिसे किसी बात का पता न हो।
अनागत – वह जो कभी न आया हो।
अनिमेष – बिना पलकें झपकाए हुए। एकटक देखना।
अनिर्वचनीय – वह जिसको शब्दों द्वारा व्यक्त न किया जा सके।
अनिवार्य – वह जो जरूरी हो, जिसके बिना काम न चले।
अनुगामी – किसी के पीछे-पीछे चलने वाला।
अनुज – वह जिसका जन्म बाद में हो।
अनुपमेय – वह जिसकी उपमा न दी जा सके।
अनुमोदन – किसी का समर्थन करना।
अनुश्रुति – परम्परा से चली आई कथा ।
अन्तर्कथा – मूल कथा में आने वाला प्रसंग।
अन्तरिक्ष – आकाशीय पिण्डों के बीच का स्थान।
अन्तर्यामी – वह जो किसी के मन की बात जानता हो।
अन्त्यज – वह जिसका जन्म निम्न वर्ग में हुआ हो।
अन्मनस्क – वह जिसका मन कहीं न लग रहा हो।
अपठित – वह जो पहले पढ़ा हुआ न हो।
अपरिग्रही – वह जिसने सब कुछ त्याग दिया हो।
अपरिमेय – वह जिसे नापा न जा सके।
अपरिहार्य – वह जिसे छोड़ा या टाला न जा सके।
अपव्ययी – वह जो व्यर्थ खर्च करे। धन का दुरुपयोग करे।
अपराह्न – दोपहर के बाद का समय ।
अप्रत्याशित – वह जिसकी आशा न की गई हो।
अभिभाषण – अध्यक्ष, सभापति का लिखित भाषण ।
अभियुक्त – वह जिस पर मुकदमा चलाया गया हो।
अभूतपूर्व – वह जो पहले कभी न हुआ हो।
अमर – वह जो कभी न मरे।
अमित्र – वह जो मित्र न हो।
अरिहन्ता – वह जो शत्रुओं का नाश करने वाला हो।
अलौकिक – वह जो इस लोक में संभव न हो।
अल्पज्ञ – वह जिसे थोड़ा ज्ञान हो।
अवध्य – वह जो वध करने योग्य न हो।
अविभाज्य – वह जिसका विभाजन नहीं किया गया हो।
अविवेकी – वह जिसमें विशेष ज्ञान का अभाव हो ।
अवर्णनीय – वह जिसका वर्णन न किया जा सके।
अविहित – वह कार्य जो अनुचित है।
अविश्वनीय – वह जिसका विश्वास न किया जा सके।
अवैतनिक – वह जो बिना वेतन के काम करे।
अश्लील – वह बात जिसे सभ्य समाज लज्जाजनक माने।
अश्वशाला – अश्वों के लिए बनाई गई शाला।
असंभव – वह जो संभव न हो।
असाध्य – वह जिसे साधा न जा सके।
अस्त्र – वे हथियार जिन्हें फेंक कर चलाया जाता है।
अस्वस्थ – वह जो स्वस्थ न हो।
आकाशवृत्ति – वह जिसकी आजीविका का साधन निश्चित न हो।
आतंकवादी – वह जो आतंक फैलाए / करें।
आत्मकथा- लेखक द्वारा लिखी अपनी स्वयं की कथा।
आत्मनिर्भर – वह जो अपने आप पर ही निर्भर हो।
आत्महंता- अपनी हत्या आप करने वाला।
आद्योपान्त – आरम्भ (आदि) से लेकर अन्त तक।
आपादमस्तक – सिर से लेकर पैर तक।
आविष्कार – किसी नई वस्तु की खोज करना।
वाक्यांश के लिए एक शब्द – हिंदी व्याकरण
आशुतोष – वह जो शीघ्र ही प्रसन्न हो।
आस्तिक – वह जो ईश्वर ने विश्वास रखता है।
इन्द्रियातीत – वह जो इन्द्रियों के परे हो (पहुँच से परे हो)
ईशान – पूर्व व उत्तर के बीच की दिशा।
उऋण – वह जो अपने ऋण से मुक्त हो गया हो।
उत्तराधिकारी – पिता की सम्पत्ति का अधिकारी।
उपकृत – वह जिस पर उपकार किया गया हो।
उपत्यका – पहाड़ की तलहरी में स्थित समतल भूमि
ऊर्वर – वह जो उपजाऊ हो।
ऊसर – वह भूमि जिसमें कुछ भी उत्पन्न न हो।
ऐच्छिक – वह जो व्यक्ति की इच्छा के अनुसार हो।
ऐहिक – जिस बात का सम्बन्ध इस लोक से हो।
ओरस – विवाहिता पत्नी से उत्पन्न पुरुष
कटुभाषी – कर्कश शब्द बोलने वाला।
कर्मनिष्ठ – वह जो निरन्तर कर्मशील रहे।
कामचोर – वह जो काम से जी चुराता हो।
कालयापन – जैसे तैसे जीवनयापन करना।
किंकर्तव्य विमूढ़ – भावना व शोक के कारण कर्तव्य निर्धारण में असमर्थ
कुंज – वृक्ष लताओं से आच्छादित स्थान
कूपमण्डूक – वह जो सांसारिक अनुभवों से हीन हो।
कृतघ्न – वह जो किए हुए व उपकारों को न माने ।
कृतज्ञ – वह जो किए हुए उपकार को माने।
कृपण – वह जो बहुत कंजूस, सूम
कृमिघ्न – कीटाणु मारने वाला/वाली।
क्रीत – वह जिसे खरीद लिया गया हो।
क्लीव – वह जो स्त्री-पुरुष से भिन्न हो (नपुंसक)
क्षण भंगुर – क्षण भर में/शीघ्र नष्ट होने वाला
क्षम्य – वह जो क्षमा करने के योग्य हो
क्षितिज – वह स्थान जहाँ पृथ्वी और आकाश मिले हुए दिखते हो।
खगोलशास्त्र – आकाश मण्डल के विषय में ज्ञान प्राप्त करने की विद्या
खेद – अपनी गलती पर साधारण दुख प्रकट करना।
गगन चुम्बी – गगन को चूमने वाली।
गैर कानूनी – वह जो कानून के विरु द्ध हो.।
गोधूलि – सन्ध्या व रात्रि के मध्य की बेला (का समय)
गोपनीय – वह जो छिपाने योग्य बात हो।
घसियारा – वह जो घास पर अपना जीवन यापन करें।
चतुर्मास – वर्षा के समय के चार मासों का समाहार ।
चम्पू – गद्य एवं पद्य मिश्रित रचना।
चिरस्थायी – वह जो लम्बे समय तक रहे।
छात्रावास – वह स्थान जहाँ छात्र रहते हैं।
छावनी – वह स्थान जहाँ सेना निवास करती है।
छद्मी – बनावटी/कपटी रूप धारण करने वाला।
जठरानल – पेट की आग
जनश्रुति – वह बात जो पूर्वकाल से लोगों से सुनी गई हो
जलचर – जल में रहने वाले
जिजीविषा – जीवन जीने की इच्छा शक्ति
जिज्ञासु – नई बात जानने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति
जितेन्द्रिय – वह जिसने इन्द्रियों को जीत लिया है।
ज्ञेय – वह जो जानने योग्य हो।
टकसाल – सिक्के ढालने का स्थान
तंद्रा – हल्की नींद
तटस्थ – दो पक्षों में मत भेद होने पर किसी ओर झुकाव का न होना।
त्रिकालदर्शी – वह जो भूत, भविष्य और वर्तमान को देखने वाला हो।
त्रिकालज्ञ – वह जो तीनों कालों को जानता है।
त्रिगुणातीत – वह जो तीनों गुणों से परे हो।
त्रिताप – आध्यात्मिक, आधिभौतिक एवं आधिदैविक ताप ।
दत्तक – गोद लिया हुआ पुत्र ।
दम्पत्ति – पति – पत्नी का जोड़ा।
दलित – वह जो शोषित हो।
दावानल – जंगल में लगने वाली आग (दावाग्नि)
दुभाषिया – दो भिन्न भाषाओं को बोलने वालों के बीच अनुवाद करने वाला
दुरभिसंधि – वह सन्धि जो बुरी भावना को लेकर की गई हो।
दुराचारी – वह जिसका आचरण अच्छा न हो/बुरा हो।
दुराग्रही – वह जो अनुचित कार्य के लिए आग्रह करे।
दुर्गम- वह स्थान जहाँ जाना कठिन हो।
दुर्जेय – वह जिसे जीतना कठिन हो ।
दुर्बोध – वह जिसे समझना कठिन हो।
दुर्भेद्य – वह जिसे कठिनाई से भेदा जा सके।
दुष्कर – वह कार्य जिसे करना कठिन हो ।
दुष्प्राप्य – वह जो कठिनता से प्राप्त हो।
Vakyansh Ke Liye Ek Shabd in Hindi
दुस्तर – वह जिसे पार करना कठिन हो।
दुस्साध्य – वह जिसे साधना कठिन हो।
दूरदर्शी – वह जो भविष्य या दूर की सोचता है।
दूरस्थ – वह जो दूरी पर स्थित हो।
दोहित्र – वह जो दुहिता (पुत्री) का पुत्र हो।
धोलोक – स्वर्गलोक
द्विज – वह जिसका जन्म दो बार होता है।
धर्मनिष्ठ – वह जो धर्म में निष्ठा रखे।
धूर्त – दूसरों को धोखा देने वाला दुष्ट ।
सर्वज्ञ – वह जो सब कुछ जानता हो।
नवागत – वह जो नया आया हुआ हो।
नास्तिक- वह जो ईश्वर को नहीं मानता।
निरक्षर – वह जिसे अक्षरों का बिल्कुल ही ज्ञान न हो।
निरपेक्ष – वह जो किसी का पक्ष न ले (निष्पक्ष)
निराकार – वह जिसका कोई आकार या स्वरूप न हो।
निराधार – वह जिसका कोई आधार न हो।
निरामिष – वह जो माँस नहीं खाता।
निरीह – वह जो उदासीन, विरक्त हो, किसी बात की चाह न हो
निरुत्तर – वह जो किसी प्रश्न का उत्तर न दे सके।
निर्जन – वह स्थान जहाँ कोई व्यक्ति (जन)न हो।
निर्दय – वह जिसके हृदय में दया न हो।
निर्यात – बिक्री के लिए किसी वस्तु को बाहर भेजना।
निर्वासित – वह जिसे देश से निकाल दिया गया हो।
निवेदन – किसी से विनय या प्रार्थना करना ।
निशाचर – वह जो निशा (रात्रि) में विचरण करे।
निशीथ – अर्द्धरात्रि का समय ।
निस्सन्देह – बिना किसी सन्देह के
नेपथ्य – रंगमंच के पीछे का स्थान।
नैयायिक – वह जो न्याय शास्त्र को जानने वाला हो।
नैरित्य – दक्षिण पश्चिम दिशा के बीच की दिशा ।
पठनीय – वह जो पढ़ने योग्य हो।
पदच्युत – वह जिसे पद से च्युत कर दिया गया हो।
परछिद्रान्वेषी – वह जो दूसरों के छिद्र (दोष) ढूँढ़ता है
परमुखापेक्षी – वह जो दूसरों के मुख को ताकता है।
परित्यकता – वह स्त्री जिसे उसके पति ने छोड़ दिया हो।
परिव्राजक – देश देशान्तर में घूमने फिरने वाला साधु
परोक्ष – वह जो आँखों के परे हो।
परोपकारी – वह जो दूसरों का उपकार करता है।
विवादग्रस्त – वह जो विवाद का विषय हो।
पाण्डुलिपि – किसी रचना की हाथ से लिखी प्रति।
पाथेय – मार्ग में खाने के लिए लिया गया भोजन।
पारलौकिक – वह जो पर लोक से सम्बन्धित हो
पार्थिव – वह जो पृथ्वी से सम्बन्धित हो।
पुरातत्ववेता – प्राचीन काल संबंधी विद्या को जानने वाला
पैतृक – पिता से सम्बन्धित से
प्रणतपाल – प्रण को पालने वाला/शरणार्थी की रक्षा करने वाला।
प्रत्युपकार – उपकार के बदले किया गया उपकार।
प्रत्युत्पन्नमति – किसी बात पर तुरंत निर्णय लेने की शक्ति
प्रदोषकाल – सन्ध्या और रात्रि के मध्य का समय
प्रशंसनीय – वह जो प्रशंसा के योग्य हो।
प्रस्ताव – सभा के सम्मुख उपस्थित विषय।
प्रेक्षागृह – नाचरंग देखने का स्थान/ मंत्रणा करने का स्थान
फलाहारी – वह जो फलों का ही आहार करे।
बड़वानल – समुद्र की आग/समुद्र में लगने वाली आग।
बहुज्ञ – वह जो बहुत जानता है।
भागिनेय – वह जो भगिनी का पुत्र है।
भारवाहिनी – भार को ले जाने वाली।
भारोपीय – भारत और यूरोप से सम्बन्धित
भित्तिचित्र – भित्ति (दीवार) पर बनाये गये चित्र
भुक्तभोगी – वह जो किसी विपत्ति को भोग चुका हो।
भूतपूर्व – वह जो भूतकाल में हुआ हो।
भूमिगत – वह जो छिपजाय, जिसका पता न चले।
मद्यप – वह जो मद्य का पान करता है।
मर्मज्ञ – वह जो मर्म को जानता है।
महिला – कुलीन या उच्च परिवार की स्त्री।
महावट – सर्दी में होने वाली वर्षा
महावत – हाथी को हाँकने वाला व्यक्ति ।
मितभाषी – वह जो कम बोलता है।
मितव्ययी – वह जो कम खर्च करता है।
मिताहारी – वह जो कम खाता है।
मिष्टभाषी – वह जो मीठी वाणी बोलता है।
मुमुक्षु – मोक्ष या मुक्ति की इच्छा रखने वाला।
मृणाल – कमल की डण्डी।
मृदुभाषी – वह जो मीठी (मृदु) वाणी बोलता है
मृत्युंजय – वह जिसने मृत्यु को जीत लिया
यायावर – वह जो घूमघूम कर जीवन बिताता है
युयुत्सु – वह जो युद्ध करने की इच्छा करे/रखे।
रजनीचर – वह जो रजनी में विचरण करे।
राजस्व – भूमि कर जो राज्य द्वारा लिया जाता है।
रिक्थ – पुरानी पीढ़ी से नई पीढ़ी को मिलने वाली सम्पत्ति ।
रोमांचित – वह जिससे रोंगटे खड़े हो जाय।
लब्ध प्रतिष्ठ – वह व्यक्ति जिसे प्रतिष्ठा प्राप्त हो।
लापता – वह जिसका कहीं पता न चले।
वयःसंधि – युवा और बचपन के बीच का समय ।
वज्राघात – कठोर आघात
वन्ध्या – वह स्त्री जिसके सन्तान उत्पन्न न हो।
वर्णनातीत – जो बात वर्णन करने के बाहर हो।
वाग्दत्ता – वह कन्या जिसके विवाह का वचन दे दिया गया हो।
वाचाल – वह जो बहुत बोलता है ।
वात्सल्य – माता पिता का सन्तान के प्रति प्रेम।
विगत – वह जो बीत चुका है।
विधवा – वह स्त्री जिसका पति मर चुका हो
विधुर – वह पुरुष जिसकी पत्नी मर चुकी हो
विरक्त – वह जो किसी के प्रति उदासीन रहे।
विवादग्रस्त – वह जो विवाद का विषय हो।
विमत – वह जो मत के विरुद्ध हो।
विमाता – किसी की सौतेली माँ ।
विरासत – पुरानी पीढ़ी से नई पीढ़ी को मिलने वाली संपत्ति ।
विकलांग – वह व्यक्ति जिसके शरीर के अंग विकल हो।
विवेक – सही व गलत में अन्तर करने का ज्ञान ।
विशेषज्ञ – किसी विषय का असाधारण ज्ञान रखने वाला
विश्वनीय – वह जो विश्वास करने योग्य हो।
शतक – सौ का समूह ।
शत्रुघ्न – शत्रु का नाश करने वाला
शतायु – वह जिसकी आयु सौ वर्ष की हो।
शाकाहारी – वह जो शाक का आहार करे।
शैव – वह जो शिव की उपासना करता हो
शहीद – वह जो देश के लिए बलिदान हो गया।
संक्रामक – छूत से फैलने वाला रोग।
संगम – दो नदियों के मिलने का स्थान।
संविधान – किसी देश पर राज्य चलाने के लिए नियम।
सांघातिक – जीवन को आघात पहुंचाने वाला।
सदाचार – वह आचरण जो अच्छा हो।
सत्यभाषी/सत्यनिष्ठ – वह जो सत्य बोले या सत्य की निष्ठा करे।
सनातन – वह जो सदा से चला आ रहा है।
समकालीन – एक ही समय या काल में रहने वाला।
समदर्शी – वह जो सबको समान दृष्टि से देखे।
सदावर्त – मुफ्त में बंटने वाला भोजन।
समक्ष – वह जो आँखों के सामने हों।
समवयस्क – वह जो समान वय (अवस्था) वाला हो।
समसामयिक – एक ही समय से संबंधित हो।
समालोचक – वह जो साहित्यिक गुण दोषों की विवेचना करे।
सर्वग्राही – वह जो सबको स्वीकार करे।
सर्वज्ञ – वह जो सब कुछ जानता हो।
सर्वव्यापी – वह जो सब जगह व्याप्त हो।
सद्योजात – वह जिसका जन्म अभी-अभी हुआ हो।
सहपाठी – साथ में पढ़ने वाला।
सहोदर – एक ही उदर से जन्म लेने वाला।
सामिष – माँस युक्त भोजन/ वह जो माँस खाता है।
सामूहिक गीत – समूह द्वारा गाया जाने वाला गीत
सार्वजनिक – वह जिसका संबंध सब लोगों से हो।
सार्वभौम – वह जो समस्त देशों से संबंधित हो।
सारथि – रथ को चलाने वाला।
साप्ताहिक – वह जो सप्ताह में एक बार हो ।
सुग्रीव – वह जिसकी ग्रीवा सुन्दर हो ।
स्पर्धा – एक दूसरे से आगे बढ़ने की भावना।
स्वयंपाकी – वह जो अपना भोजन स्वयं बनाये।
स्वयं सेवक – वह जो स्वेच्छा से समाज की सेवा करें।
स्वावलम्बी – आजीविका आदि की दृष्टि से अपने ऊपर निर्भर रहने वाला।
स्वयं सिद्ध – जिसको सिद्ध करने के लिए अन्य प्रमाण की आवश्यकता नहीं।
स्थानापन्न – वह जो दूसरे के स्थान पर अस्थायी रूप से काम करे।
हुतात्मा – वह जिसने पवित्र कार्य के लिए अपने प्राण दे दिये।
हेमाद्रि – सोने के समान चोटियों वाला पर्वत
अनुभूत – जिसका अनुभव किया गया हो।
उपहास – वह हँसी जिसमें अपमान का भाव हो।
मुमूर्षा – मरने की इच्छा।
किंवदन्ती – जो बात परम्परा से प्रचलित हो।
थाती – किसी के पास रखी दूसरे की वस्तु ।
धनद – वह जो धन देता है।
वैयाकरण – वह जो व्याकरण का ज्ञाता है (जानता है)
तितीर्षा – तैरने की इच्छा
ऐन्द्रजालिक – इन्द्रियों को भ्रमित करने वाला।
वामाचारी – विपरीत काम करने वाला
छिद्रान्वेषी – अनावश्यक दोष ढूँढ़ने वाला ।
आगतपतिका – वह जिसका पति परदेश से लौटा हो।
ऐन्द्रिय – वह जो इन्द्रियों से सम्बन्धित है
अप्रवासी – वह जो अपनी जन्म भूमि छोड़कर विदेश में वास करता हो।
घ्राणीय – वह जिसे सुँघा जा सके।
दुर्धर्ष – वह जिसे वश में करना कठिन हो ।
जरायुज – वह जिसका जन्म गर्भ से हो।
नातिदीर्घ – वह जो बहुत बड़ा न हो।
अवमूल्यन – उचित से कम मूल्य लगाना।
दुर्लघ्य – जिसे पार करना कठिन हो।
अनाहूत – वह जिसे बुलाया न गया हो।
क्षेपक – किसी ग्रन्थ में अन्य व्यक्ति द्वारा जोड़ा गया भाग।
अन्तेवासी – गुरु के समीप रहने वाला विद्यार्थी।
दीर्घसूत्री – हर काम को देर से करने वाला।
पृष्टव्य – वह जो पूछने योग्य हो।
अनुरोध – विनयपूर्वक किया गया हठ।
हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar