परिभाषा – ‘वाच्य’ शब्द का शब्दार्थ होता है – ‘बोलने का विषय’। हिन्दी व्याकरण के अनुसार वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि क्रिया का मुख्य विषय – कर्ता, कर्म या भाव में से कौन है, उसे वाच्य कहते हैं ।
अर्थात् वाच्य यह बोध कराता है कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया कर्ता, कर्म या भाव किसके अनुसार प्रयुक्त हुई है। वैसे क्रिया के रूपान्तर को भी वाच्य कहा जाता है।
यद्यपि क्रिया का रूपान्तर लिंग, वचन, काल, वृत्ति, पुरुष के विकार से होता है किन्तु वाच्य से ही यह ज्ञात होता है कि क्रिया का रूप कर्ता, कर्म या भाव किसके अनुसार परिवर्तित हुआ है।
वाच्य के भेद या प्रकार –
हिन्दी में वाच्य के तीन भेद हैं –
1 . कर्तृवाच्य
2 . कर्मवाच्य
3 . भाववाच्य
1 . कर्तृवाच्य (Krit Vachya in Hindi Grammar) –
जब वाक्य में कर्ता की प्रधानता होती है अर्थात् वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा व प्रत्यक्ष सम्बन्ध कर्ता से होता है। क्रिया के लिंग, वचन एवं पुरुष कर्ता के लिंग, वचन एवं पुरुष के अनुसार प्रयुक्त होते हैं, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।
क्रिया अकर्मक व सकर्मक हो सकती है –
अशोक पुस्तक पढ़ता है।
नलिनी खाना बनाती है।
बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।
संगीता बच्चों को नहलायेगी।
विशेष – कभी-कभी कर्तृवाच्य में क्रिया का लिंग, वचन, कर्म के अनुसार होता है, किन्तु उस वाक्य में कर्ता के साथ ‘ने’ विभक्ति प्रयुक्त होगी।
राम ने पुस्तक पढ़ी।
सीता ने पुस्तक पढ़ी।
2 . कर्मवाच्य (Karmvachya in Hindi Grammar) –
जब वाक्य में प्रयुक्त कर्ता की अपेक्षा कर्म की प्रधानता होती है अर्थात् क्रिया का केन्द्र बिन्दु कर्ता न होकर कर्म होता है, क्रिया के लिंग, वचन, पुरुष कर्ता के लिंग वचन के अनुसार न होकर कर्म के अनुसार होते हैं, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
कर्मवाच्य वाले वाक्यों में वास्तविक कर्म कर्ता के रूप में प्रयुक्त होता है तथा वास्तविक कर्ता ‘करण’ कारक के रूप में प्रयुक्त होता है।
चाय सुशील द्वारा पी गई।
अंजना द्वारा खाना बनाया गया।
संगीता द्वारा कविता पढ़ी गई।
नन्दू द्वारा दुकान खोली गई।
विशेष – कर्मवाच्य में क्रिया सदैव सकर्मक होती है। कभी-कभी कर्ता का लोप भी हो जाता है।
यह पुस्तक नहीं बिक रही है।
मुझसे यह काम नहीं किया जाता।
वह दरवाजा नहीं खुलता।
3 . भाववाच्य (Bhav-vachya in Hindi Grammar) –
जब वाक्य में न तो कर्ता की प्रधानता होती है और न कर्म की, बल्कि क्रिया का भाव प्रधान होता है, उसे भाववाच्य कहते हैं।
भाववाच्य में क्रिया सदैव एकवचन, पुल्लिंग, अकर्मक एवं अन्यपुरुष में भाव के अनुसार प्रयुक्त होती है। कभी क्रिया सकर्मक भी हो सकती है, उस परिस्थिति में कर्ता व कर्म के साथ विभक्तियाँ अवश्य प्रयुक्त होगी –
सीता ने अपने पुत्र को सुला दिया।
सचिन से तेज दौड़ा नहीं जाता।
नित्या से दर्द सहा नहीं जाता।
गर्मियों में खूब नहाया जाता है।
घायल कबूतर से उड़ा नहीं जायेगा।
आइए, अब यहाँ से चला जाए।
शर्म के मारे उससे बोला नहीं जाता।
यहाँ बैठा नहीं जाता।
उससे चला नहीं जाता।
कर्नल ने वजीर को नहीं पहचाना।
धूप में नहीं खेला जायेगा।
वाच्य परिवर्तन –
1 . कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना –
कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में परिवर्तन हेतु वास्तविक कर्म को कर्ता के रूप में हुए क्रिया के लिंग, वचन, कर्म के अनुसार परिवर्तित कर वास्तविक कर्ता को करण कारक के रूप में प्रयुक्त करते हुए उसके साथ ‘से’, ‘द्वारा या के द्वारा’ शब्द प्रयुक्त किये जाते हैं –
कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य |
गौरी फल खाती है। | फल गौरी द्वारा खाये जाते हैं। |
दीपिका ने चित्र बनाया। | चित्र दीपिका द्वारा बनाया गया। |
निखिल चाय पीता है। | चाय निखिल द्वारा पी जाती है। |
दादी कहानी सुनायेगी। | कहानी दादी द्वारा सुनाई जायेगी। |
मैं खाना खाता हूँ। | मेरे द्वारा खाना खाया जाता है। |
रोगी पानी नहीं पी सकता। | रोगी से पानी नहीं पीया जाता। |
हम सामान नहीं उठा सकते। | हमसे सामान नहीं उठाया जा |
प्रशान्त पुस्तक खरीदता है। | पुस्तक प्रशान्त से खरीदी जाती है। |
2 . कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना –
भाववाच्य में क्रिया सदैव अकर्मक होती है, प्रायः निषेध का भाव रहता है तथा क्रिया सदैव एकवचन, पुल्लिंग एवं अन्य पुरुष में प्रयुक्त होती है,
अतः कर्तृवाच्य को भाववाच्य में परिवर्तित करते समय कर्ता के साथ ‘से’ प्रयुक्त कर क्रिया को एकवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष में परिवर्तित कर दिया जाता है।
कर्तृवाच्य | भाववाच्य |
तुम नहीं खेलते। | तुमसे खेला नहीं जाता। |
गुंजन नहीं गाती। | गुंजन से गाया नहीं जाता। |
क्या वे लिखेंगे ? | क्या उनसे लिखा जायेगा? |
मैं उठ नहीं सकता। | मुझसे उठा नहीं जाता। |
अभिषेक कुर्सी पर बैठता है। | अभिषेक से कुर्सी पर बैठा जाता है। |
कर्तृवाच्य की क्रिया को सामान्य भूतकाल में परिवर्तित कर उसके साथ ‘जाना’ क्रिया का काल, पुरुष, वचन और लिंग के अनुसार रूप जोड़ दिया जाता है।
मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया को एकवचन में बदलकर उसके साथ ‘जाना’ धातु के एकवचन, पुल्लिंग, अन्यपुरुष का वही काल लगा देते हैं, जो कर्तृवाच्य की क्रिया का है – ‘जो’
कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाना – कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाने हेतु वास्तविक कर्ता जो करण के रूप में प्रयुक्त था, उसे पुनः कर्ता के रूप में तथा वास्तविक कर्म जो कर्ता कारक के रूप में प्रयुक्त था, उसे कर्म कारक के रूप में प्रयुक्त कर क्रिया का लिंग, वचन कर्ता के अनुसार परिवर्तित करने होंगे –
कर्मवाच्य | कर्तृवाच्य |
कार्तिका द्वारा गीत गाया गया। | कार्तिका ने गीत गाया। |
चिराग द्वारा चाय पी गयी। | चिराग ने चाय पी। |
भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाना – वाक्य को भाव (वाच्य) की अपेक्षा कर्तृवाच्य बनाने हेतु पहले भाव के स्थान पर कर्ता को प्रधानता देते हुए वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन, कर्ता के अनुसार परिवर्तित कर देंगे।
भाववाच्य | कर्तृवाच्य |
गीता से गाया नहीं जाता। | गीता से गाया नहीं जाता। |
हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar