सर्वनाम की परिभाषा – किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं तथा जो शब्द सर्व (सभी) नामों (संज्ञाओं) के स्थान पर आ सकता है, सर्वनाम कहलाता है।
अतः किसी वाक्य में संज्ञा के स्थान पर जिन शब्दों का प्रयोग होता है, अर्थात् संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे –
प्रशान्त एक मेधावी छात्र है। प्रशान्त कक्षा में सदैव प्रथम आता है। प्रशान्त की बहिन गुंजन है।
उक्त वाक्यों में प्रशान्त शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है, जिसे पढ़ने में कुछ अटपटा-सा लगता है। अतः भाषा को सहज, सरल एवं सुगठित बनाने के लिए ‘प्रशान्त’ संज्ञा के स्थान पर अन्य शब्द प्रयुक्त कर यों लिखा जा सकता है –
“प्रशान्त एक मेधावी छात्र है। वह कक्षा में सदैव प्रथम आता है। उसकी बहिन गुंजन है।” यहाँ प्रशान्त संज्ञा के स्थान पर ‘वह’ तथा उसकी’ शब्द प्रयुक्त हुए हैं, जिन्हें सर्वनाम कहा जाता है।
सर्वनाम के भेद (Sarvanam Ke Bhed in Hindi Grammar) –
सर्वनाम छह प्रकार के होते हैं –
1 . पुरुषवाचक सर्वनाम
2 . निश्चयवाचक सर्वनाम
3 . अनिश्चयवाचक सर्वनाम
4 . प्रश्नवाचक सर्वनाम
5 . सम्बन्धवाचक सर्वनाम
6 .निजवाचक सर्वनाम
1 . पुरुषवाचक सर्वनाम –
वे सर्वनाम जो पुरुषों (वक्ता, श्रोता व अन्य) के नाम के बदले आते हैं अर्थात् जो बोलने वाले वक्ता, सुनने वाले श्रोता तथा जिस व्यक्ति के विषय में बात की जाती है, उन सभी व्यक्तियों के नाम के स्थान पर प्रयुक्त सर्वनामों को पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे –
मैं, हम, तू, तुम, आप, वह, वे, उन्हें आदि।
पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं –
(i) उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम – बोलने वाला वक्ता या लिखने वाला लेखक अपने नाम के बदले जिस सर्वनाम का प्रयोग करता है, उसे उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे-मैं, मैंने, हम, हमने, मेरा, हमारा, मुझे, मुझको, हमको, हमसे आदि।
(ii) मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम – वे सर्वनाम जिनका प्रयोग सुनने वाले श्रोता अर्थात् जिससे बात की जाती है या जिसको सम्बोधित किया जाता है, उसके नाम के बदले प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे – तू, तुम, तुमने, तुम्हारा, तेरा, तुमको, तुझे, आप, आपका, आपने, आपको आदि।
विशेष – किसी को आदर देने के लिए, बड़े व्यक्ति के लिए ‘तुम’ के स्थान पर ‘आप’ शब्द का प्रयोग किया जाता है, जैसे – आप क्या लेंगे? आपका नाम क्या है ? आप बैठ जाइए।
(iii) अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम – वे व्यक्ति जिनके बारे में वक्ता या श्रोता बात करते हैं या लिखते हैं, उनके नाम के बदले प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम, अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे –
वह, वे, उसे, उसने, उसको, उन्हें,यह, इन्हें, इन्होंने, इसने, उनका, उनको, आप, आपने, आपका आदि।
विशेष – जब आप, आपने, आपका, आपको शब्द का प्रयोग व्यक्ति विशेष का परिचय करवाने के लिए किया जाता है, वहाँ ये सर्वनाम अन्यपुरुषवाचक सर्वनाम बन जाते हैं।
जैसे –
गाँधीजी ने देश को आजादी दिलायी, आप अहिंसा के पुजारी थे।
नेहरूजी देश के लिए जेल गये, आपने जेल में ‘भारत की खोज’ पुस्तक लिखी।
उक्त वाक्यों में ‘आप, आपने’ शब्द अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम के रूप में प्रयुक्त हुए हैं।
2 . निश्चयवाचक सर्वनाम –
वे सर्वनाम जो किसी निश्चित व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, घटना या कर्म के निकट या दूर होने की ओर संकेत करते हैं, उन्हें निश्चयवाचक या संकेतवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे –
यह, ये, इन्हें, इसने, इनका, वह, वे, उन्हें, उसने, उनका
इन्हें दो भागों में बाँटा गया है –
(i) निकटवर्ती निश्चयवाचक सर्वनाम – जो निकट के निश्चित प्राणी या वस्तु की ओर संकेत करते हैं, जैसे – यह, ये इन्हें, इसे, इसने, इनका आदि।
1 . धर्मेन्द्र ने कहा, कुछ फल लाया हूँ इन्हें रख लो।
2 . तुम्हे रेडियो चाहिए यह लो।
3 . यह पिंकी का घर है।
(ii) दूरवर्ती निश्चयवाचक सर्वनाम – जो दूर के निश्चित प्राणी या वस्तु की ओर संकेत करते हैं; जैसे – वह, वे, उन्हें, उसने।
1 . यह मेरा घर है वह उसका है।
2 . वह उसकी गाड़ी है।
3 . वे मेरे भाई हैं।
विशेष –
‘यह, वह’, सर्वनाम ‘अन्य पुरुषवाचक’ के साथ ‘निश्चयवाचक सर्वनाम भी है। अतः यदि वाक्य में संकेतित पदार्थ निश्चयवाचक सर्वनाम (यह, वह) के तुरन्त बाद में प्रयुक्त हुआ है तो वहाँ वह निश्चयवाचक सर्वनाम का बोध कराता है।
जैसे –
यह पुस्तक मेरी है।
वह घर अभिषेक का है।
किन्तु संकेतित पदार्थ ‘यह, वह’ के साथ प्रयुक्त न होकर और कहीं पर हुआ हो अथवा ‘यह’, ‘वह’ तथा संकेतित पदार्थ के बीच अन्य कोई सर्वनाम शब्द प्रयुक्त हुआ हो तब वहाँ ‘यह’, ‘वह’ सर्वनाम ‘अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहे जाएंगे।
जैसे –
यह मेरी पुस्तक है।
वह उसका घर है।
3 . अनिश्चयवाचक सर्वनाम –
वे सर्वनाम जो किसी अनिश्चित व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, घटना या व्यापार के लिए प्रयुक्त होते हैं, अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे –
कोई, किसी, किन्हीं, कुछ आदि।
द्वार पर कोई खड़ा है।
कोई आ रहा है।
किसी का बस्ता पड़ा है।
महेन्द्र कुछ खा रहा है।
चाय में कुछ गिर गया।
विशेष – कोई, किसी, किन्हीं आदि अनिश्चयवाचक सर्वनामों का प्रयोग प्राणियों (सजीवों) के लिए होता है तथा ‘कुछ’ सर्वनाम का प्रयोग किसी वस्तु या निर्जीव पदार्थ के लिए होता है तथा तुच्छ प्राणियों (मच्छर, मक्खी) हेतु भी होता है।
4 . प्रश्नवाचक सर्वनाम –
वे सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, घटना के बारे में प्रश्न पूछने के लिए होता है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे –
कौन, किसे, किसका, किसकी, किसके, क्या, कब आदि।
कौन गाना गा रही है?
वह क्या खा रहा है?
किसका सामान खो गया ?
विशेष –
(i) कौन, किसे, किसका, किसकी, किसके सर्वनाम सजीव अर्थात् प्राणिवाचक संज्ञाओं के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं तथा क्या सर्वनाम का प्रयोग अप्राणिवाचक संज्ञाओं के स्थान पर किया जाता है।
(ii) यदि ‘क्या’ शब्द का प्रयोग वाक्य में सर्वप्रथम हुआ हो तथा उस ‘क्या’ प्रश्न का उत्तर ‘हाँ’ या ‘ना’ में आये वहाँ ‘क्या’ शब्द प्रश्नवाचक सर्वनाम नहीं होगा; जैसे-क्या वह खाना खा रहा है?
यहाँ ‘क्या’ प्रश्न का उत्तर ‘हाँ’ या ‘ना’ में आ सकता है, इसलिए यहाँ ‘क्या’ शब्द प्रश्नवाचक सर्वनाम न होकर ‘अव्यय’ के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
5 . सम्बन्धवाचक सर्वनाम –
वे सर्वनाम जिनका प्रयोग वाक्य में प्रयुक्त प्रधान उपवाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम के साथ सम्बन्ध बतलाने के लिए होता है, उन्हें सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे – जो-सो, जो-वह, वही, जितना-उतना, जिसकी-उसकी, जैसी-वैसी, तेते-जेते, तेती-जेती, जिसने-उसने
जो परिश्रम करेगा, वह सफल होगा।
जिसकी लाठी, उसकी भैंस।
जो सोता है, वह खोता है ।
जैसी करनी, वैसी भरनी
जो चाहो सो ले लो।
तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर।
जितना पचा सको उतना खाओ।
विशेष – सम्बन्धवाचक सर्वनामों का वाक्य में युग्म रूप में प्रयोग होता है तथा वाक्य में प्रयुक्त दोनों उपवाक्यों को मिलाता है।
6 . निजवाचक सर्वनाम –
वे सर्वनाम जिनका प्रयोग कर्ता के साथ अपनापन बतलाने के लिए किया जाता है, अर्थात् जिन्हें बोलने वाला वक्ता या लेखक स्वयं अपने लिए प्रयुक्त करता है अर्थात् वाक्य में पहले आई हुई संज्ञा या सर्वनाम की चर्चा के लिए जो सर्वनाम आता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे – आप, अपना, अपने-आप, स्वयं, खुद, स्वतः, निज।
मैं अपना काम आप करता हूँ।
वह अपने-आप चला गया।
मैं आप वहाँ गया था।
वे स्वयं इधर आ गये
वह स्वतः समझ लेगा।
मैं खुद मकान ढूँढ़ लूँगा
तुम आप वहाँ जा सकते हो।
कुछ महत्त्वपूर्ण बातें –
1 . सर्वनाम की विभक्तियाँ वाक्य में सर्वनाम के साथ मिलाकर लिखी जाती हैं। जैसे – मैंने, हमने, मुझसे, उसको, उसने
2 . सर्वनामों का रूपान्तरण पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से होता है। इनमें लिंग भेद नहीं होता। लिंग के कारण सर्वनाम पदों में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात् स्त्री-पुरुष दोनों के लिए एक समान सर्वनामों का प्रयोग होता है।
3 . ‘तू’ का प्रयोग आजकल बहुत कम होता है। शिष्टाचार वश ‘तू’ के स्थान पर ‘तुम’ का प्रयोग सर्वमान्य हो गया है। किन्तु अत्यधिक निकटता, प्रेम एवं निरादर के लिए ‘तू’ का प्रयोग किया जाता है। विशेषकर ‘ईश्वर’ को सम्बोधन करने के लिए ‘तू’ का प्रयोग किया जाता है।
4 . सर्वनाम शब्दों का संबोधन रूप नहीं बनता है, क्योंकि किसी को सर्वनाम द्वारा पुकारा नहीं जाता।
5 . सर्वनामों के लिंग का ज्ञान उनके क्रियारूपों से होता है।
जैसे –
मैं पढ़ता हूँ।
मैं पढ़ती हूँ।
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