Pratyay Kise Kahate Hain in Hindi Grammar

परिभाषा : – वे शब्दांश जो किसी मूल शब्द या धातु के अन्त में लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन या नये शब्द का निर्माण करते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।

जैसे –

मनुष्य + ता = मनुष्यता

अपना + पन = अपनापन

मीठा + आई = मिठाई

घूमना + अक्कड़ = घुमक्कड़

लूटना + एरा = लुटेरा

चढ़ना + आव = चढ़ाव

प्रत्यय के भेद या प्रकार (Pratyay Ke Kitne Bhed Hote Hain) –

अध्ययन की सुविधा हेतु हिन्दी प्रत्ययों को तीन भागों में बाँटा गया है –

1 . संस्कृत के प्रत्यय

2 . हिन्दी के प्रत्यय विदेशी प्रत्यय

संस्कृत तथा हिन्दी के प्रत्यय को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जाता है –

1. कृत् प्रत्यय

2. तद्धित प्रत्यय

1 . कृत् प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो किसी क्रिया या धातु के अन्त में लगकर नये शब्द बनाते हैं, उन्हें कृत् प्रत्यय कहते हैं तथा कृत् प्रत्यय से बने शब्द ‘कृदन्त’ कहलाते हैं।

जैसे –

तैरना + आक = तैराक

खेलना + औना = खिलौना

झाड़ना + ऊ = झाडू

उड़ना + आन = उड़ान

कतिपय विद्वान् कृत् प्रत्यय की संख्या 28 मानते हैं। कृत् प्रत्यय के निम्न पाँच उपभेद किए गए हैं –

(i) कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय –

जिन प्रत्ययों के क्रिया पदों के साथ योग से कर्ता वाचक संज्ञा शब्द बनाते हैं, उन्हें कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं –

प्रत्यय = बनने वाले कर्तृवाचक संज्ञा शब्द

अक = लेखक (लिखना + अक), पाठक, नायक

अक्कड़ = भुलक्कड़ (भूलना + अक्कड़), घुमक्कड़

आक = तैराक (तैरना + आक), चालाक

आका = लड़ाका (लड़ना + आका), धमाका, धड़ाका

आकू लड़ाकू (लड़ना + आकू), पढ़ाकू

आऊ = जलाऊ, खारू, बिकाऊ, दिखाऊ

आड़ी = खिलाड़ी (खेलना + आड़ी), अनाड़ी, कबाड़ी

आलू = झगड़ालू (झगड़ना + आलू), लजालू

इयल = मरियल (मरना + इयल), अड़ियल, सड़ियल

ऊ = रटू (रटना + ऊ), खाऊ, उड़ाऊ, बिगाडू

एरा = लुटेरा (लूटना + एरा), बसेरा, कमेरा

ऐया (वैया) = गवैया (गाना + ऐया), पढैया, खिवैया, रमैया

ओड़ा = भगोड़ा (भागना + ओड़ा) चटोरा, हसोड़ा

इया = जड़िया (जड़ना + इया), धुनिया

ई = त्यागी (त्यागना + ई), हँसी, बोली

क = मारक (मारना + क), पालक

ता = नेता, दाता, विक्रेता, वक्ता, श्रोता, ज्ञाता, त्राता

त्र = अस्त्र, वस्त्र, शस्त्र

दार = देनदार, लेनदार

वाला = लिखनेवाला, पढ़नेवाला, धोनेवाला, बोलने वाला

हार = खेलनहार, राखनहार, चाखनहार, होनहार

(ii) कर्मवाचक कृत् प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो किसी क्रियापद या धातु के साथ योग कर कर्मवाचक संज्ञा शब्द बनाते हैं।

जैसे –

औना = खिलौना (खेलना + औना), बिछौना, घिनौना

ना = खाना, गाना

(iii) करणवाचक कृत् प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो किसी क्रिया पद या धातु के साथ योगकर करणवाचक संज्ञा शब्द बनाते हैं, उन्हें करणवाचक कृत्प्र त्यय कहते हैं –

आ = (झूलना + आ), ठेला, घेरा, मेला

आनी = मथानी (मथना + आनी)

ऊ = झाडू (झाड़ना + ऊ)

ई = बुहारी (बुहारना + ई), रेती, फाँसी

औटी = कसौटी (कसना + औटी)

न = बेलन (बेलना + न), बंधन, मंथन

नी = कतरनी (कतरना + नी), धौंकनी, लेखनी

(iv) भाववाचक कृत् प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो किसी क्रिया पद या धातु के साथ योग कर भाववाचक संज्ञा शब्द बनाते हैं, उन्हें भाववाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं।

अ = लूट (लूटना + अ), तोल, लेख, मार, खेल, देखभाल, जाँच, वाद, क्रोध, जय, पुकार, मेल

अन = ऐंठन (ऐठना), चलन, गमन, तरण, बन्धन

अना = रचना, घटना, सूचना, मिलना, वेदना

आन = चढ़ान (चढ़ना + आन), उड़ान, उठान, मिलान

आप = मिलाप (मिलना + आप), विलाप

आव = घुमाव (धूमना + आव), चढ़ाव, कटाव, बहाव

आई = लड़ाई (लड़ना + आई), पढ़ाई, लिखाई, चढ़ाई

आवा = बुलावा (बुलाना + आवा), चढ़ावा, भुलावा

आवट = सजावट (सजाना + आवट), मिलावट

आहट = घबराहट (घबराना + आहट), चिल्लाहट

इ = रुचि (रुचना + इ), कृषि

ई = बोली (बोलना + ई), हँसी, धमकी, घुड़की

औता = समझौता (समझना + औता)

औती = कटौती (काटना + औती), मनौती, चढौती

त (अत) = बचत (बचाना + त), बढ़त, खपत, लिखत

ति = कृति, स्तुति, सृष्टि

ती = उठती (उठना + ती), चलती, बढ़ती, घटती

न = फिसलन (फिसलना + न)

सा = पिपासा, जिज्ञासा, मीमांसा

आ = पूजा, भूला, भटका, देखा, लिखा, सोचा, पढ़ा

(v) क्रियाबोधक कृत् प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो किसी क्रिया पद या धातु के साथ योग कर नये क्रियापदों को बनाते हैं –

अनीय = पठनीय (पठ् + अनीय), गोपनीय, करणीय

य = गेय, पेय, देय

हुआ = पढ़ता हुआ, लिखता हुआ, चलता हुआ

हुई = पढ़ती हुई, लिखती हुई, चलती हुई

हुए = पढ़ते हुए, लिखते हुए, चलते हुए

2 . तद्धित प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो क्रिया पद के अतिरिक्त किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्द के साथ लगकर नये शब्द का निर्माण करते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

जैसे –

सोना + आर = सुनार

अपना + पन = अपनापन

बूढ़ा + आपा = बुढ़ापा

चाचा + एरा = चचेरा

गंगा + एय = गांगेय

ठाकुर + आइन = ठकुराइन

तद्धित प्रत्ययों को निम्न छः उपभेदों में बाँटा जाता हैं –

(i) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम, या विशेषण पद के साथ लगकर कर्तावाचक शब्द बनाते हैं, उन्हें कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

आर = लुहार (लोहा + आर), सुनार, चमार, कुम्हार

आलु = दयालु, कृपालु, श्रद्धालु

इया = रसिया (रस + इया), दुखिया, मुखिया

इयल = दढ़ियल (दाढ़ी + इयल)

ई = तेली (तेल + ई), दुखी, सुखी, माली

एरा = सपेरा (साँप + एरा), घसेरा, चितेरा, लखेरा

ऊटा = काला + ऊटा = कलूटा

क = लिपिक, पाठक, लेखक

कार = कहानीकार, पत्रकार, कलाकार, चित्रकार

विदेशी

गर = जादूगर, सौदागर, बाजीगर

ची = अफीमची, तबलची, नकलची

दान = पीकदान, रोशनदान, इत्रदान

दानी = साबुनदानी, मच्छरदानी

दार = दुकानदार, जमींदार, चौकीदार, थानेदार, मालदार

वान = गाड़ीवान, बागवान, कोचवान, धनवान

वाला = दूधवाला, फलवाला, चायवाला, गाड़ीवाला

हारा = लकड़हारा, पनिहारा

(ii) भाववाचक तद्धित प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्द के साथ जुड़कर भाववाचक संज्ञा शब्द बनाते हैं, उन्हें भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं –

अ = कौशल (कुशल + अ) यौवन, शैशव, मौन

अक = ठंडक

अत = रंगत (रंग + त), संगत

आ = बोझा (बोझ + आ), खर्चा, सर्राफा

आन = ऊँचान (ऊँचा + आन), लम्बान, चौड़ान

आई = अच्छाई (अच्छा + आई), बुराई, पंडिताई

आयत = बहुतायत, पंचायत, टीकायत

इमा = गरिमा (गुरु + इमा), कालिमा, नीलिमा, लालिमा, मधुरिमा

आस = मिठास (मीठा + आस) खटास

आपा = बुढ़ापा (बूढ़ा + आपा), मोटापा, रंडापा, मुटापा

आहट = कड़वाहट, चिकनाहट, गरमाहट

इकी = मानविकी, यांत्रिकी, भौतिकी, सांख्यिकी

औती = बपौती

पन = लड़कपन, बचपन, कालापन, छुटपन, पागलपन

ता = मनुष्यता, मूर्खता, पशुता, मधुरता, एकता, सुन्दरता

त्व = अपनत्व, लघुत्व, मनुष्यत्व, गुरुत्व, कवित्व

मानी = बुद्धिमानी

य = धैर्य, स्वास्थ्य, सौन्दर्य, पाण्डित्य

ई = गर्मी, लाली, सफेदी, खुशी, नमी, चोरी, दोस्ती

(ii) सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ प्रयुक्त होकर सम्बन्धवाचक शब्द बनाते हैं, उन्हें सम्बन्धवाचक तद्धित/प्रत्यय गुणवाचक भी कहते हैं।

आ = प्यासा, ठंडा, भूखा

आल = ननिहाल, ससुराल

आलु = श्रद्धालु, दयालु, कृपालु, लज्जालु

इक = पौराणिक, शारीरिक, सामाजिक, दैनिक, नैतिक

इत = फलित, पुष्पित, अंकित, शोभित, हर्षित, शोभित

इम = रक्तिम

इन = मलिन, कठिन

इल = स्वप्निल, जटिल, कुटिल, पंकिल, रोमिल

ईन = कुलीन

ईय = भारतीय, राष्ट्रीय, जातीय, स्वर्गीय, शासकीय

ईला = रसीला, रंगीला, जहरीला, चमकीला, सुरीला

एय = पौरुषेय

एरा = चचेरा, ममेरा, मौसेरा, फुफेरा

उक = भावुक, कामुक, भिक्षुक, इच्छुक

ऐला = विषैला, मटैला, बनैला, कसैला

ओई = ननदोई, बहनोई

तर = कठिनतर, दृढ़तर, बृहत्तर

मान = बुद्धिमान, शक्तिमान, गतिमान, शोभायमान

वत = मातृवत्, पुत्रवत्इ

हरा = इकहरा, दुहरा, तिहरा

जा = भतीजा, भानजा

(iv) अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्द के साथ प्रयुक्त होकर उसी की संतान का बोध कराते हैं, उन्हें अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

अ = वासुदेव (वसुदेव + अ), राघव, मानव, पाण्डव, मागध, शैव, जैन, पार्थ, पांचाल, पौत्र, गौरव, कौशल, दानव, वैष्णव, कौरव, बौद्ध

इ = दाशरथि (दशरथ + इ), वाल्मीकि, मारुति, सौमित्रि

ई = जानकी (जनक + ई), गांधारी, द्रौपदी, मैथिली

एय = गांगेय (गंगा + एय), भागिनेय, सौरभेय

य = आदित्य (अदिति + य) दैत्य, काव्य,

अयन/आयन बदरायण (बदरी + आयन), रामायण, नारायण

(v) ऊनता (लघुता) वाचक तद्धित प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम, या विशेषण शब्द के साथ लगकर उन्हीं के लघुतासूचक अर्थ का बोध कराते हैं, उन्हें ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

इया = डिबिया (डिब्बा + इया), खटिया, लुटिया, अंबिया, चुटिया

ई = टोकरी (टोकरा + ई), रस्सी, घण्टी, पहाड़ी, मण्डली, थाली, टोपी, झंडी, प्याली, नदी, हथौड़ी

इका = कलिका (कलि + इका), लतिका, पत्रिका

ओला = खटोला (खाट + ओला), संपोला, मंझोला

ड़ा/ड़ी = मुखड़ा, चमड़ा, चमड़ी, पंखुड़ी, अंतड़ी

री = कोठरी, छतरी

ली = टिकली

उआ = बबुआ, मनुआ

(vi) स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय –

वे प्रत्यय जो पुल्लिंग संज्ञा शब्दों केसाथ प्रयुक्त होकर उनके स्त्रीलिंग शब्द का बोध कराते हैं, उन्हें स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

अनुजा = (अनुज + आ), सुता, छात्रा,

आइन = ठकुराइन (ठाकुर + आइन), मुंशियाइन

आनी = देवरानी (देवर + आनी), नौकरानी, सेठानी

इन = मालिन (माली + इन), धोबिन, चमारिन, बाघिन, लुहारिन

इनी = हथिनी (हाथी + इनी), कमलिनी, सरोजिनी

इका = गायिका, नायिका, सेविका, अध्यापिका

इया = कुतिया (कुत्ता + इया), चुहिया, बुढ़िया

नी = मोरनी (मोर + नी), शेरनी, सिंहनी, जाटनी

ई = घोड़ी (घोड़ा + ई), लड़की, बकरी, बेटी

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