पद (Pad) – जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो वह पद कहलाता है, जैसे – ‘प्रशान्त पुस्तक पढ़ता है।’ इस वाक्य में प्रयुक्त प्रशान्त, पुस्तक तथा पढ़ता है शब्द पद है।
पद परिचय/पद व्याख्या (Pad Parichay) – वाक्य में प्रयुक्त किसी पद के व्याकरणिक परिचय को ही उसका पद परिचय या पद व्याख्या कहते हैं।
किसी पद के व्याकरणिक परिचय का आशय है, उस पद के शब्द का प्रकार (संज्ञा, सर्वनाम, …….) उसके लिंग, उसके वचन, उसके कारक, काल, वाच्य तथा अन्य शब्दों के सम्बन्ध से है।
व्याकरणिक कोटियाँ या रूपान्तरण के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं –
(i) विकारी
(ii) अविकारी या अव्यय।
विकारी शब्दों का पद परिचय –
वे शब्द जिनमें व्याकरणिक कोटियों (शब्द का प्रकार, लिंग, वचन, कारक, काल ……..) के कारण विकार उत्पन्न होता है, हिन्दी के समस्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया शब्द विकारी शब्द होते हैं। इनके पद परिचय में निम्नानुसार बातों का उल्लेख होता है।
पद परिचय के भेद या प्रकार (Pad Parichay Ke Bhed in Hindi) –
1 . संज्ञा पदों का पद परिचय –
वाक्य में प्रयुक्त किसी संज्ञा शब्द के पद परिचय हेतु निम्न पाँच बातों का उल्लेख करना होता है –
1 . संज्ञा का प्रकार 2 . संज्ञा का लिंग 3 . संज्ञा का वचन 4 . संज्ञा शब्द का कारक 5 . संज्ञा शब्द या क्रिया के साथ सम्बन्ध।
जैसे –
महात्मा गाँधी ने देश को स्वतंत्रता दिलाई।
उक्त वाक्य में महात्मा गाँधी, देश तथा स्वतंत्रता शब्द संज्ञा शब्द हैं। इनका पद परिचय निम्नानुसार होगा –
महात्मा गाँधी – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘दिलाई’ क्रिया का कर्ता।
देश – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक, ‘दिलाई’ क्रिया का कर्म।
स्वतंत्रता – भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक, दिलाई क्रिया का कर्म।
2 . सर्वनाम पदों का पद परिचय –
वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम पद के पद परिचय हेतु निम्न पाँच बातों का उल्लेख करना होता है –
1 . सर्वनाम पद का प्रकार, पुरुष सहित
2 . सर्वनाम पद का लिंग – वैसे सर्वनाम से उसके लिंग का बोध नहीं होता किन्तु वाक्य में प्रयुक्त होने पर क्रिया से उसका लिंग निर्धारण होता है।
3 . सर्वनाम पद का वचन
4 .सर्वनाम पद का कारक
5 . सर्वनाम पद का क्रिया के साथ सम्बन्ध।
वह कुछ खा रहा है।
कौन दरवाजा खटखटा रहा है।
उक्त वाक्यों में वह, कुछ तथा कौन पद सर्वनाम है। उक्त आधारों पर इनका पद परिचय होता है।
वह – पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘खा रहा है’ क्रिया का कर्ता।
कुछ – अनिश्चयवाचक सर्वनाम, एकवचन, कर्मकारक, खा रहा है क्रिया का कर्म।
कौन – प्रश्नवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक, खटखटा रहा है क्रिया का कर्त्ता।
3 . विशेषण पद का पद परिचय –
वाक्य में प्रयुक्त किसी विशेष पद के पद – परिचय हेतु निम्न पाँच बातों का उल्लेख करना होता है।
1 . विशेष पद का प्रकार
2 . विशेषण पद का लिंग
3 . विशेषण पद का वचन
4 . विशेष पद की अवस्थ
5 . वाक्य में प्रयुक्त विशेष्य के साथ उसका सम्बन्ध।
काला घोड़ा तेज दौड़ता है।
गिलास में थोड़ा दूध है।
उक्त वाक्यों में काला तथा थोड़ा पद विशेषण पद हैं। इनका पद परिचय निम्नानुसार होगा –
काला – गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, मूलावस्था, ‘घोड़ा’ विशेष्य के रंग का बोध कराता है।
थोड़ा – परिमाणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, मूलावस्था, दूध विशेष्य की मात्रा का बोध कराता है।
4 . क्रिया पद का पद परिचय –
वाक्य में प्रयुक्त क्रिया पद के पद परिचय हेतु निम्न छह बातों का उल्लेख करना होता है –
1 . क्रिया पद का प्रकार
2 . क्रिया पद का लिंग
3 . क्रिया पद का वचन
4 . क्रिया पद का वाच्य
5 . क्रिया पद का काल
6 . वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्दों के साथ सम्बन्ध
गुंजन गाना गाती है।
सत्यम नहाता है।
उक्त वाक्यों में रेखांकित पद क्रिया पद हैं। इनका पद परिचय निम्नानुसार होगा –
गाती – सकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, वाक्य में प्रयुक्त ‘गुंजन’ पद क्रिया का कर्ता है तो ‘गाना’ पद क्रिया का कर्म।
नहाता – अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, सत्यम् पद ‘नहाता’ क्रिया का कर्ता है।
अविकारी या अव्यय पदों का पद परिचय –
वे शब्द जिनका वाक्य में प्रयुक्त होने पर व्याकरणिक कोटियों के कारण उनमें किसी प्रकार का विकार उत्पन्न नहीं होता। अतः इन पदों के पद परिचय में पद के प्रकार तथा उसके सम्बन्ध का ही उल्लेख करना होता है।
क्रिया विशेषण पद का पद परिचय –
काला घोड़ा सफेद घोड़ा से तेज दौड़ता है।
वह धीरे-धीरे चलता है।
तेज – क्रिया विशेषण, ‘चलता’ क्रिया की गति का बोध कराता है।
सम्बन्ध बोधक अव्यय पद का पद परिचय –
राम के साथ सीता भी वन गई।
मेरे घर के सामने विद्यालय है।
के साथ – सम्बन्धबोधक अव्यय, ‘के साथ’ अव्यय पद राम व सीता के सम्बन्ध का बोध कराता है।
के सामने – सम्बन्ध बोधक अव्यय, ‘के सामने’ अव्यय पद घर तथा विद्यालय के सम्बन्ध का बोध कराता है।
समुच्चय बोधक अव्यय पद का पद परिचय –
प्रशान्त आया किन्तु अभिषेक चला गया।
मेघना गीत गाती है और कनिष्का वाद्य बजाती है।
किन्तु – समुच्चय बोधक अव्यय है जो प्रशान्त आया तथा ‘अभिषेक चला गया’ वाक्यों को जोड़ता है।
और – समुच्चयबोधक अव्यय है जो ‘मेघना गीत गाती है’ तथा कनिष्का वाद्य बजाती है’ दो सरल वाक्यों को और शब्द जोड़ता है।
5 . विस्मयादिबोधक अव्यय पद का पद परिचय –
वाह! क्या ही सुन्दर दृश्य है।
छि:छिः कितनी घृणित जगह है।
वाह! – विस्मयादिबोधक अव्यय, जो हर्ष के भाव का बोध कराता है।
छि:छि: – विस्यादिबोधक अव्यय, जो घृणा के भाव का बोध कराता है।
6 . निपात पद का पर परिचय –
भूपेन्द्र आज ही दिल्ली जायेगा।
महेन्द्र के साथ सन्तोष भी जायेगी
ही – यह निपात है, जो आज के साथ प्रयुक्त होकर ‘आज शब्द पर बल देता है।
भी – यह एक निपात है जो सन्तोष के साथ प्रयुक्त होकर ‘सन्तोष’ पर बल देता है।
हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar