जीवन में खेलकूद का महत्व असंदिग्ध है। आज अनेक प्रकार के खेल प्रचलित है; जैसे – क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, बॉस्केटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन आदि।
सभी को कोई न कोई खेल अवश्य पसंद होता है। मुझे हॉकी खेल पसंद है। हॉकी का खेल आज विश्व के अधिकांश देशों में खेला जाता है। भारत, पाकिस्तान, मलेशिया, कोरिया, जापान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, बेल्जियम, स्पेन, हॉलैंड आदि में तो यह खेल अत्यंत लोकप्रिय है।
एशिया तथा यूरोप की खेल प्रतियोगिताओं में ही नहीं, ओलंपिक खेलों में भी हॉकी को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यूरोप के देशों में तो ‘आइस हॉकी’ का भी खेल भी खेला जाता है। ‘आइस हॉकी’ उन दिनों में खेली जाती है जब बर्फ पड़ती है।
हॉकी का खेल कब प्रारंभ हुआ, इसका अनुमान लगाना कठिन है, परंतु इस खेल को 1908 में ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया। 1925 में भारत में अखिल भारतीय हॉकी संघ की स्थापना हुई और तब से यह भारत के राष्ट्रीय खेल के रूप में खेला जा रहा है।
हॉकी के क्षेत्र में 1956 तक भारत का एकछत्र प्रभुत्व रहा। भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी तथा हॉकी के जादूगर माने जाने वाले ध्यानचंद की हॉकी की जादूगरी से खुश होकर जर्मनी के हिटलर ने उनसे हाथ मिलाया था।
उनके नेतृत्व में भारत हॉकी खेल में अपना वर्चस्व बनाए रखा था। उसके बाद भारतीय हॉकी के पतन का दौर शुरू हो गया। धीरे-धीरे हॉकी का स्थान क्रिकेट ने ले लिया।
परंतु मेरा यह मानना है कि हॉकी का खेल क्रिकेट की तुलना में कहीं अधिक श्रेष्ठ है। हॉकी का खेल दो समान शक्ति एवं निपुणता रखने वाली टीमों का खेल है।
इसमें टीम के प्रत्येक खिलाड़ी को चुस्त, चौकन्ना और अपने पूरे दमखम से खेलना पड़ता है। इन्हीं कारणों से हॉकी के खेल को शारीरिक क्षमता का खेल कहा जाता है।
हॉकी का खेल 35-35 मिनट की दो पारियों में खेला जाता है। इस खेल में पाँच खिलाड़ी ‘फॉरवर्ड’, दो ‘डिफेंस लाइन’, तीन ‘सेंटर हाफ’ तथा एक ‘गोलकीपर’ होता है।
सभी को अत्यंत तालमेल से खेलना पड़ता है। छोटे-छोटे पास देकर, ड्रिबलिंग करते हुए खिलाड़ी विपक्ष के गोल के सामने एक अर्द्ध गोलाकार रेखा, जिसे ‘डी’ कहते हैं, तक पहुंचते हैं तथा वहाँ से ‘गोल पोस्ट’ में हिट लगाते हैं। यदि बॉल ‘गोल पोस्ट’ के अंदर चली जाती है तो गोल माना जाता है।
आजकल हॉकी में अनेक नए नियम लागू किए गए हैं। जो खिलाड़ी जानबूझकर किसी खिलाड़ी को चोट पहुँचाने, गिराने या गलत ढंग से रोकने का प्रयास करता है, उसे ‘रेफरी’ द्वारा ‘यैलो कार्ड’, ‘ग्रीन कार्ड,’ तथा ‘रेड कार्ड’ दिखाए जाते हैं, जिसके अनुसार खिलाड़ी को खेल के मैदान से बाहर भी किया जा सकता है।
हॉकी के खेल में ‘पैनल्टी पुश’ जैसे नियमों का भी बहुत महत्व है। जो टीम ‘पैनल्टी कार्नरों’ को गोल में परिवर्तित करने की क्षमता रखती है, वही जीत की हकदार होती है। दुर्भाग्य से भारत में ‘पैनल्टी कार्नर विशेषज्ञों’ की कमी है।
भारत में हॉकी के गिरते हुए स्तर की कमी के लिए मेरे विचार से सरकार दोषी है। सरकार की ओर से हॉकी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित भी नहीं किया जाता है तथा ‘हॉकी संघों’ में व्याप्त राजनीति भी इस खेल के गिरते हुए स्तर के लिए जिम्मेदार है।
परंतु मैं इससे निराश नहीं हूँ। मुझे विश्वास है कि भारत एक दिन हॉकी में पुनः चैंपियन बनेगा। पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार ने भी इस ओर ध्यान दिया है तथा अनेक युवाओं को हॉकी के खेल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मेरी इच्छा : हॉकी के खेल के लिए शरीर का चुस्त, लचकीला, फुर्तीला रहना तथा भाग सकने का अभ्यास करना बहुत आवश्यक है। अन्य खेलों के मुकाबले इस खेल में खिलाड़ियों में आपसी तालमेल और सूझ-बूझ का अधिक होना अति आवश्यक है।
मैं हॉकी का खिलाड़ी हूँ। यधपि मुझे अभी किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ, परंतु मेरी इच्छा है और मुझे विश्वास है कि एक न एक दिन सुअवसर अवश्य आएगा, जब मैं भारत की राष्ट्रीय हॉकी टीम के सदस्य के रूप में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करके भारत को विजयश्री दिलाकर रहूँगा।
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