Television Par Nibandh in Hindi
टेलीविजन पर निबंध – Television Par Nibandh – Essay in Hindi
टेलीविजन का आविष्कार
टेलीविजन विज्ञान का एक अद्भुत चमत्कार है। इसके आविष्कार का श्रेय जॉन बेयर्ड (John Baired) को दिया जाता है। लंदन में बीबीसी ने 1936 ईस्वी में नियमित टेलीविजन सेवा शुरू की।
अमेरिका में 1939 ईस्वी में सबसे पहले सार्वजनिक टीवी का प्रसारण हुआ। तब से आज तक इसका निरंतर विकास और प्रयोग होता रहा है। ब्रिटेन और अमेरिका में इसकी इतनी लोकप्रियता बढ़ी कि यह वहां के दैनिक जीवन का एक अंग बन गया।
फिर धीरे-धीरे सारे यूरोप में इसका प्रचार हुआ। 1954 ईसवी में अमेरिका में रंगीन टेलीविजन प्रसारण शुरू हुआ। इससे इसकी लोकप्रियता सारे संसार में छा गयी।
भारत में टेलेविजन
भारत में 15 सितंबर, 1959 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने दिल्ली में इसका उद्घाटन किया। उन दिनों सप्ताह में 2 दिन 30-30 मिनट का प्रसारण होता था।
दिल्ली के स्कूलों और आसपास के पंचायतों में सामूहिक टेलीविजन सेट सरकार की ओर से लगाए जाते थे, जिनसे मनोरंजन और शिक्षा संबंधी कार्यक्रम का प्रसारण होता था।
फिर स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, राष्ट्रीय एकता, समाजिक विकास, कठपुतली नाटक आदि कार्यक्रम प्रसारित होते थे। फिर, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने टेलीविजन को भारत के नगरों और गांवों में दूर-दूर तक पहुंचा दिया।
वास्तव में अब अमेरिका और इंग्लैंड की तरह इस देश में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ी है और चारों और इसका जाल-सा बिछ गया है। यह भी हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। टेलीविजन ने नगरों में प्रायः रेडियो को पीछे छोड़ दिया है। घर-घर इसका प्रचार होता जा रहा है।
रेडियो और टेलीविजन
रेडियो में जहां श्रव्य (ध्वनि) का प्रसारण होता है, वहां टेलीविजन में श्रव्य के साथ दृश्य (चित्र) का भी प्रसारण होता है। यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।
इस दिशा में नए प्रयोग हो रहे हैं। इसकी उपयोगिता बढ़ती जा रही है इसलिए वैज्ञानिक आविष्कारों में इसका सबसे अधिक आर्थिक महत्व है।
नामकरण
‘टेलीविजन’ के लिए भारत में दूरदर्शन एक रजिस्टर्ड नाम है। सरकार ने इसी नाम को स्वीकार किया है, किंतु व्यवहार में दूरदर्शन के स्थान पर टीवी का प्रयोग अधिक होता है। छोटे बच्चे भी इसी नाम से पुकारते हैं। पढ़े या अनपढ़े सभी इस नाम का प्रयोग करते हैं।
सारांश
सारांश यह है कि दूरदर्शन, टीवी या टेलीविजन विज्ञान का एक अद्भुत चमत्कारी अविष्कार है। सारी दुनिया के छोटे से बक्से में बंद कर विश्व परिवार बना दिया है। सिनेमा और रेडियो को एक कर संसार, मानव, समाज, कला, साहित्य और विज्ञान के विकास में बड़ी सेवाए की हैं।
” धन्यवाद “