महात्मा गाँधी जी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

Mahatma Gandhi Ji Par Nibandh in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में जितना योगदान गांधीजी का था, निश्चित रूप से किसी अन्य भारतीय का नहीं था। यदि गांधीजी को स्वाधीनता संघर्ष की धुरी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी।

सन 1919 से 1947 तक वे भारत की राजनीति पर इस तरह छाये रहे की बहुत से इतिहासकारों ने इस काल को गाँधी युग का नाम दिया है। देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेते हुए उन्होंने अन्य नेताओं को मार्गदर्शन भी किया।

उन्होंने अहिंसा की नीति अपनाकर शांतिपूर्ण ढंग से शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार को झुका दिया। उन्होंने विभिन्न आंदोलनों का कुशल नेतृत्व किया जिनका विवरण निम्नलिखित है –

(1 .) असहयोग आंदोलन (Non-Co-operation Movement) –

जब कभी भी अंग्रेजी सरकार ने भारत के लोगों के हितों की अनदेखी की, गांधीजी ने सदैव लोगों कहा कि वे अंग्रेजों का सहयोग न दें। उनका विचार था कि यदि भारतीय अंग्रेजों का साथ नहीं देंगे तो अंग्रेजी सरकार यहां कैसे टिक सकेगी।

उनके कहने पर अनेक भारतीयों ने चाहे वह क्लर्क थे, वकील थे या कारीगर सब ने अपना काम करना छोड़ दिया। विद्यार्थियों ने अपनी कक्षा में जाना बंद कर दिया। फिर सभी वर्ग स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े।

(2 .) सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) – 

1928 में साइमन कमीशन भारत आया। भारतीयों के विरोध के बावजूद कमीशन ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी। इस पर गांधी जी ने निराश होकर सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ कर दिया।

गांधी जी ने नमक कानून को तोड़ा, इस पर गांधी जी को अपने सहयोगियों के साथ जेल भी जाना पड़ा। सन 1934 में यह आंदोलन समाप्त हो गया।

(3 .) भारत छोड़ो आंदोलन (Quit Movement) – 

सन 1942 में गांधी जी ने “भारत छोड़ो” आंदोलन चलाया। अंग्रेजों ने इसे दबाना चाहा परन्तु भारतीय जनता की आवाज को पूर्ण रूप से नहीं दबा सके।

(4 .) सत्याग्रह आंदोलन (Satyagraha Movement) – 

महात्मा गांधी का प्रथम हथियार अहिंसा था तथा दूसरा बड़ा हथियार सत्याग्रह आंदोलन था। अपनी बात को मनवाने के लिए महात्मा गांधी धरना देते थे, या कुछ दिन के लिए उपवास रख लेते थे।

(5 .) अहिंसा (Non-Violence) –

अपनी बात को मनवाने के लिए महात्मा गांधी किसी लड़ाई-झगड़े या ईट का जवाब पत्थर से देने की नीति पर विश्वास नहीं करते थे। वे सारे कार्य शांति से करने में विश्वास रखते थे।

वे जानते थे कि अंग्रेजी सरकार के पास बड़ी शक्ति है और भारतीय लोग शक्ति से उसका मुकाबला नहीं कर सकते। इसीलिए अंग्रेजी सरकार को जीतने के लिए उन्होंने अहिंसा और शांति की नीति अपनाई। इस नीति के सामने अंत में अंग्रेजी सरकार जैसे शक्तिशाली सरकार को भी झुकना पड़ा।

(6 .) स्वदेशी आंदोलन (Swadeshi Movement) –

अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए महात्मा गांधी ने एक अन्य हथियार निकाला। वह हथियार था स्वदेशी आंदोलन।वे अच्छी तरह जानते थे कि अंग्रेज एक व्यापारिक जाती है और वे भारत में व्यापारी बनकर ही आए थे।

यदि उन्हें भारत में व्यापारिक लाभ नहीं रहेगा तो वह स्वयं ही भारत छोड़ जाएंगे। इसलिए महात्मा गाँधी ने देशवासियों को बाहरी माल का बहिष्कार करने की सलाह दी।

(7 .) हिंदू-मुस्लिम एकता (Hindu-Muslim Unity) –

अंग्रेजों ने भारतीयों को एक-दूसरे से अलग रखने के उद्देश्य कई प्रयास किए, परंतु गांधीजी उन्हें एकजुट रखने के लिए प्रयास हमेशा करते रहे। आज गाँधी हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनका सम्पूर्ण जीवन हमेशा हमलोगों के लिए प्रेरणाश्रोत रहेगा।

” धन्यवाद 

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